वीडियो जानकारी:<br />अद्वैत बोध शिविर<br />३० सितंबर, २०१९<br />अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग: "क्लेशोऽधिकतरस्तेषामव्यक्तासक्तचेतसाम् ।<br />अव्यक्ता हि गतिर्दुःखं देहवद्भिरवाप्यते ॥"<br /><br />भावार्थ : उन सच्चिदानन्दघन निराकार ब्रह्म में आसक्त चित्तवाले पुरुषों के साधन में परिश्रम विशेष है क्योंकि देहाभिमानियों द्वारा अव्यक्तविषयक गति दुःखपूर्वक प्राप्त की जाती है॥<br /><br />(श्रीमद्भगवतगीता, अध्याय 12 श्लोक 5)<br /><br />क्या निराकार ब्रह्म की साधना कठिन इसलिए कहा गया है कि निराकार में चित्त लगाए रखना मुश्किल है?<br />क्या निराकार और साकार ब्रह्म की साधना बिलकुल अलग-अलग बातें है?<br />क्या ये मानना सही होगा ये दो तरह की साधना साथ-साथ चलने वाला है जैसे कि ज्ञान, भक्ति और कर्मयोग?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते